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24 Sep 2019 · 1 min read

मुलाकात

पल दो पल की हो मधुरिम वार्तालाप
कभी ना कभी हो सकती है मुलाकात

सोच में सोच सोच कर कुछ नहीं होता
करने से ही होगी एक अच्छी शुरुआत

बाट देखते रहते दो पागल कमले नैन
नैनों से नैन मिल जाए,हो प्रेम बरसात

मधुशाला के प्याले,उसके नशीले नैन
प्रेम प्याले पी लेंगे, यही उत्तम सौगात

ईश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपता
होता जब उजागर बहकते हैं जज्बात

दीवानों का दुश्मन रहा है,यह जमाना
प्रेमपरिंदों की कभी होती नहीं प्रभात

गुलशन में गुल खिले, महके गुलिस्तां
भँवरे रूठ जाए,विरान होता गुलिस्तां

फूलों की महकान होती बहुत आकृष्ट
देवागंनाएँ भी होती गुलों पर आकर्षित

पल दो पल की हो मधुरिम वार्तालाप
कभी ना कभी हो सकती है मुलाकात

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
1 Like · 335 Views
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