!! मुलाकात !!
कहाँ मिले थे,
क्या याद है न तुमको
वो समां था कुछ हसीं सा
जब मिले थे हम दोनों
इक निगाह से
छुप छुप कर
देखना क्या याद है तुमको
कैसे सोच ठी
कि इक अनजान को
किस तरह से मन
पास बुला रहा था
खुद मन में नना जाने
क्या क्या पका रहा था
जब इक इशारा मिला
तो भी घबरा रहा था
जैसे की कोई गुनाह किया
है, और सजा पाने को
तयार हो रहा था,
तुम ने झट से यह कह
दिया,की क्या
मुझ को पसंद करते हो
या बस तिरछी निगाह से
मन अपना शांत करते हो
सुनकर , थम सा गया जैसे
वो समय और जुबान
पर लगा कोई अंकुश, और
मन से निकल ही गया, कि
जी, हम आपको पसंद करते हैं
वो पल आज भी रह रह कर
याद में सिमट जाता है
तुम्हारी यादों का पिटारा
संग संग चला आता है,
सच ! क्या मुलाकात थी, जिस
ने हमसफ़र बना दिया तुमको मेरा
वो मुलाकात भी क्या हसीं थी
जिस ने अपना बना दिया
जीवन का सच्चा याराना !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ