मुलाकातों के चर्चे सरेआम क्या हुये
मुलाकातों के चर्चे सरेआम क्या हुये
हर जगहां निगाहों के कैदखाना हुये
_____________________________
बुरी नजरों के जाल इस कदर हो गए
तुम उस पार और हम इस पार हो गए
लक्ष्मण सिंह
मुलाकातों के चर्चे सरेआम क्या हुये
हर जगहां निगाहों के कैदखाना हुये
_____________________________
बुरी नजरों के जाल इस कदर हो गए
तुम उस पार और हम इस पार हो गए
लक्ष्मण सिंह