मुर्गा भैया
मुर्गा भैया कितने अकड़ू
करते रहते हैं कुकड़ूँ कूँ
बहुत सवेरे ही जग जाते
शोर मचाते हमें जगाते
सर पर लाल लाल कलगी है
जैसे राजा की पगड़ी है
चूजे इनके प्यारे प्यारे
कभी न आते हाथ हमारे
देते रोज रोज ये अंडे
खाते सब मंडे टू संडे
पर हमको इनसे चिढ़ भारी
हम तो भैया शाकाहारी
21-04-2018
डॉ अर्चना गुप्ता