Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2022 · 6 min read

मुरादाबाद स्मारिका* *:* *30 व 31 दिसंबर 1988 को उत्तर प्रदेश विद्यालय प्रबंधक महासभा के मुरादाबाद में आयोजित 22 वें महाधिवेशन के अवसर पर प्रकाशित स्मारिका : एक अध्ययन*

मुरादाबाद स्मारिका* : *30 व 31 दिसंबर 1988 को उत्तर प्रदेश विद्यालय प्रबंधक महासभा के मुरादाबाद में आयोजित 22 वें महाधिवेशन के अवसर पर प्रकाशित स्मारिका : एक अध्ययन
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
उत्तर प्रदेश विद्यालय प्रबंधक महासभा तथा इसके अधिवेशनों का गौरवशाली इतिहास रहा है । सन 1949 ईस्वी में इलाहाबाद में पहला अधिवेशन हुआ । तीसरा अधिवेशन 31 दिसंबर 1952 तथा 1 जनवरी 1953 को मुरादाबाद में के.जी.के. इंटर कॉलेज में हो चुका है। इसके स्वागताध्क्ष श्री शंभूनाथ खन्ना थे। 1952 के उपरांत 1988 में पुनः मुरादाबाद को यह गौरवशाली अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात थी। अतः इस अवसर पर एक स्मारिका का प्रकाशन सर्वथा उचित रहा।
132 पृष्ठ की स्मारिका 9 इंच × 7 इंच आकार की पत्रिका के रूप में हमारे सामने आती है । इसमें शिक्षा क्षेत्र के अग्रणी महानुभावों के विचारपूर्ण लेख हैं । शिक्षा क्षेत्र के महान तपस्वियों की स्मृतियाँ हैं तथा वर्तमान समय में प्रबंधक महासभा के माध्यम से समाज की सेवा करने वाले महापुरुषों के चित्र एवं विवरण आदि अंकित किए गए हैं ।
स्मारिका में उत्तर प्रदेश विद्यालय प्रबंधक महासभा के अध्यक्ष श्री दीनदयाल , उपाध्यक्ष श्री नरोत्तम दास अग्रवाल तथा वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री केदारनाथ गुप्त के चित्र प्रकाशित किए गए हैं। प्रबंधक महासभा द्वारा लंबे समय तक प्रकाशित किए जाने वाली पत्रिका शिक्षा और प्रबंध के प्रबंध संपादक श्री नरोत्तम दास अग्रवाल तथा प्रधान संपादक श्री केदारनाथ गुप्त रहे हैं। पत्रिका का अपना विशिष्ट योगदान रहा है।
स्मारिका के संपादक मंडल में मुख्य संरक्षक के रूप में श्री वेद प्रकाश वर्मा का नाम अंकित है ,जो मुरादाबाद मंडल के प्रबंधक महासभा के अध्यक्ष तथा इस महाधिवेशन के संयोजक हैं । संपादक श्री रमेश चंद्र दुबे हैं जो आर.वी. विद्या मंदिर इंटर कॉलेज स्योंडारा, जनपद मुरादाबाद के अध्यक्ष हैं । संयुक्त संपादक चार महानुभाव हैं ,जिनमें सर्वप्रथम श्री उमाकांत गुप्त प्रबंधक दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज एवं बलदेव आर्य कन्या इंटर कॉलेज मुरादाबाद ,दूसरा नाम श्री लक्ष्मण खन्ना चौराहा गली मुरादाबाद, तीसरा नाम श्री रघुनाथ खन्ना प्रबंधक बैजनाथ संस्कृत महाविद्यालय बर्तन बाजार मुरादाबाद तथा चौथा नाम श्री सौलत अली एडवोकेट मुरादाबाद का अंकित है।
संपादकीय में श्री रमेश चंद्र दुबे ने प्रधान संपादक के रूप में लिखा है
:- “माध्यमिक व स्नातक व स्नातकोत्तर शिक्षा संस्थाओं के प्रबंधतंत्र में वाह्य हस्तक्षेप पूर्णरूपेण प्रश्नवाचक है । इस संदर्भ में पिछले दो दशकों से जो संघर्ष की स्थिति बनी हुई है ,उसका दुष्परिणाम शिक्षा स्तर का अधो पतन है। जिसका स्थाई समाधान समय की सबसे बड़ी माँग है ।”
इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए अधिवेशन के स्वागत अध्यक्ष श्री गोपीनाथ खन्ना ने स्मारिका में अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है :-“यदि प्रबंध तंत्र के मामलों में सरकार अनावश्यक हस्तक्षेप न करती तथा उनकी न्यायोचित माँगों को प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाकर आपसी विचार विनिमय सहानुभूति से स्वीकार कर लेती तब शिक्षा पद्धति की यह दुर्गति न होती जैसी कि वर्तमान समय में है । प्रबंध तंत्र का सरकार से किसी भी स्थिति में टकराव का कोई प्रश्न ही नहीं है ।”
श्री वेद प्रकाश वर्मा जोकि मुरादाबाद मंडल के अध्यक्ष तथा महाधिवेशन के संयोजक हैं उन्होंने “शिक्षा स्तर में गिरावट का कारण प्रबंध तंत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप “ शीर्षक से एक लेख के द्वारा स्पष्ट किया है । उनके अनुसार :-“किसी विद्यालय को अनुदान देने के बाद उसके प्रबंध तंत्र में वाह्य हस्तक्षेप का कोई औचित्य किसी भी रूप में सिद्ध नहीं किया जा सकता और न ही उसका कोई लाभ सरकार ,शिक्षा संस्थाओं, शिक्षार्थी अथवा उनके अभिभावकों को ही हुआ है ।”(प्रष्ठ 11)
स्मारिका में उत्तर प्रदेश विद्यालय प्रबंधक महासभा द्वारा शासन से की गई प्रमुख माँगों का 32 सूत्रीय संक्षिप्त ब्यौरा अंकित है । अंतिम बिंदु पर माँग यह है कि:-” प्रबंध तंत्र को वह सभी अधिकार जो उन्हें मूल रूप से प्राप्त थे ,जिसके द्वारा विद्यालयों की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही थी ,वह पुनः परंतु अविलंब सरकार द्वारा व्यापक हित की दृष्टि व शिक्षा के गिरते स्तर को रोकने के लिए दिए जाएँ, क्योंकि प्रबंधतंत्र राष्ट्र का सेवक व सरकार का सहयोगी है।” (पृष्ठ 15 )
श्री दीनदयाल प्रबंधक महासभा के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष हैं । आप लखनऊ स्थित नवयुग गर्ल्स डिग्री कॉलेज तथा नवयुग गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रबंधक हैं। आपने “हमारी शिक्षा अध्यात्म की बोधक तथा संस्कृति की पोषक हो” शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें यह विचारणीय बिंदु प्रस्तुत किया गया है कि :-” सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रबंध तंत्र को शिक्षा विभाग अपना बँधुआ बना कर उनका शोषण कर रहा है ।उसका नतीजा क्या हो रहा है ? समाजसेवी कोई नए विद्यालय नहीं खोल रहे हैं तथा जो लोग वर्तमान विद्यालयों को चला रहे हैं , उनकी भी रूचि दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है।”( प्रष्ठ 18 ,19 )
श्री केदारनाथ अग्रवाल, इलाहाबाद निवासी ,महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं । “वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में नैतिक मूल्यों का ह्रास” शीर्षक से अपने लेख में आपने लिखा है:-” जहाँ तक संस्थाओं के संचालन का संबंध है, वह सबसे अधिक चिंताजनक है। शासन ने शिक्षण संस्थाओं के सारे अधिकार अपने हाथों में लेकर प्रबंध तंत्रों को बँधुआ मजदूर के दर्जे पर बिठा दिया है । वेतन वितरण की आड़ में संस्थाओं की समस्त आय को स्वयं अपना लिया है ।”(पृष्ठ 35 )
श्री प्रेम कुमार लुण्डिया एडवोकेट उत्तर प्रदेश विद्यालय प्रबंधक महासभा के प्रदेश महामंत्री हैं । “शिक्षा के गिरते स्तर के लिए जिम्मेदार कौन ? “ शीर्षक से चुनौतीपूर्ण लेख में आपने प्रश्न उठाया है कि:-” सर्वोत्तम शिक्षा संस्थाओं को सरकारी हस्तक्षेप ने विनष्ट कर दिया है । जो भी परिणाम शासकीय हस्तक्षेप के कारण शिक्षा क्षेत्र में आए हैं ,उसे कहें या न कहें, किंतु सभी अनुभव कर रहे हैं। आज जो भी अच्छी शिक्षा संस्थाएँ बची हैं , वह केवल वही हैं जिनमें शासकीय हस्तक्षेप न्यूनतम रहा है।” (पृष्ठ 71 )
श्री उमाकांत गुप्त मुरादाबाद के दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज तथा बलदेव आर्य कन्या इंटर कॉलेज के प्रबंधक हैं ।अग्रणी साहित्यकार श्री दयानंद गुप्त एडवोकेट के सुपुत्र श्री उमाकांत गुप्त ने “विद्या मंदिर साधन धाम, शिक्षार्थी साधक और शिक्षक सद्गुरु बनें “ शीर्षक से अपने विचार पूर्ण लेख में निष्कर्ष यही लिया है कि:-” प्रबंध तंत्र को उसके वे सभी नैसर्गिक अधिकार वापस किए जाएँ जिनके द्वारा विद्या मंदिरों का तंत्र सुचारू रूप से तो चले परंतु स्वच्छंद न हो सके।”( पृष्ठ 84 )
श्री रमेश चंद्र दुबे एडवोकेट ,स्यौंडारा मुरादाबाद के आर.पी. विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के अध्यक्ष हैं। आपके लेख का शीर्षक है ” सरकार और प्रबंध तंत्र एक दूसरे के पूरक हों, प्रतिद्वंदी नहीं “ । इस लेख में आपने लिखा है-” विद्या मंदिरों की स्थापना करने वाले यदि मूल्यांकित किए जाएँ तो वास्तव में वह और उनके प्रयास स्तुत्य हैं और समाज उनका ऋणी है। “(प्रष्ठ 88 )
स्मारिका का सबसे बड़ा लाभ यह रहता है कि उस के माध्यम से एक बड़े आयोजन की स्मृतियाँ हमेशा के लिए अमिट हो जाती हैं । कुछ ऐसा ही महाधिवेशन में संयोजक श्री वेद प्रकाश वर्मा के द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट जो प्रकाशित हुई ,उससे महाधिवेशन के बड़े आयोजन को किस प्रकार से धरातल पर उतारा गया इसकी एक झलक निम्न शब्दों में देखी जा सकती है । श्री वेद प्रकाश वर्मा लिखते हैं :-
के.जी.के. इंटर कॉलेज के प्रबंधक श्री शिवनाथ खन्ना ने सभा स्थल के प्रबंध की व्यवस्था तथा श्री गोपीनाथ जी खन्ना प्रबंधक के. जी. के. डिग्री कॉलेज ने अपने ही विद्यालय में महासभा का अधिवेशन किए जाने की व्यवस्था करके एवं संबंधित आर्थिक सहयोग देकर महान कार्य के महान उद्देश्य की पूर्ति को अमली जामा पहनाया । श्री बैजनाथ संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक श्री रघुनाथ खन्ना जी ने बाहर से आए हुए सम्मानित सदस्य गण के आतिथ्य एवं प्रतिनिधियों के पंजीकरण , महाधिवेशन के प्रचार एवं कंट्रोल रूम की व्यवस्था का भार दयानंद आर्य कन्या डिग्री कॉलेज मुरादाबाद के प्रबंधक श्री उमाकांत जी गुप्त ने ग्रहण किया । राजकला पी.डी.ए .गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रबंधक श्री महेश कुमार गुप्त ने सम्मानित अतिथि गण के ठहरने एवं अन्य संबंधित उत्तरदायित्व को ग्रहण करके सफलता का मार्ग प्रशस्त किया । सम्मेलन की व्यवस्था कामकाजी प्रक्रिया के भार से नीरस न हो पाए ,इस कारण सांस्कृतिक प्रोग्राम किए जाने का निर्णय लिया गया और इस उत्तरदायित्व को लक्ष्मी नारायण जगदीश शरण गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रबंधक श्री सत्य प्रकाश अग्रवाल ने सहर्ष वहन किया। सम्मेलन को सफल बनाने के लिए साहू ओंकार स्वरूप फलादारान विद्यालय के मैनेजर श्री असलम एवं सभी सहयोगी सदस्यों ने अपने अपने स्तर से पूर्ण सहयोग देकर कर्तव्य परायणता का परिचय दिया है। सम्मेलन के अवसर पर स्मारिका एक प्रकार से सम्मेलन का प्राण होती है और स्मारिका वास्तव में स्मरण किए जाने का दस्तावेज हो, इस हेतु सबसे द्रुहतर दायित्व को आर.पी. विद्या मंदिर इंटर कॉलेज स्यौंडारा के अध्यक्ष श्री रमेश चंद्र दुबे एडवोकेट ने प्रधान संपादक के रूप में अत्यधिक विनीत भाव से स्वीकार किया और मात्र 20 दिन की अवधि में ही अपने अथक प्रयास से स्मारिका को मूर्त रूप देकर अत्यधिक सराहनीय एवं स्तुत्य कार्य किया है । इस कार्य को करने में उन्होंने मुझे भी अन्य व्यवस्थाओं के बावजूद सहयोगी बनाए रखने में मेरे साथ कोई रियायत नहीं की ।
इस प्रकार न केवल मुरादाबाद के इतिहास में बल्कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में विद्यालय प्रबंधकों तथा प्रबंध समितियों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में जो महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है, उसको स्मरण रखने की दृष्टि से स्मारिका सदैव स्मरणीय रहेगी ।
——————————————–
*समीक्षक: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451

1159 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
मोरनी जैसी चाल
मोरनी जैसी चाल
Dr. Vaishali Verma
23/219. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/219. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
था जब सच्चा मीडिया,
था जब सच्चा मीडिया,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भगवान कहाँ है तू?
भगवान कहाँ है तू?
Bodhisatva kastooriya
*जय हनुमान वीर बलशाली (कुछ चौपाइयॉं)*
*जय हनुमान वीर बलशाली (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
"मेरी नज्मों में"
Dr. Kishan tandon kranti
पक्की छत
पक्की छत
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
Shweta Soni
।। समीक्षा ।।
।। समीक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
shabina. Naaz
गर कभी आओ मेरे घर....
गर कभी आओ मेरे घर....
Santosh Soni
आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें
डॉ. शिव लहरी
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मैं चल रहा था तन्हा अकेला
मैं चल रहा था तन्हा अकेला
..
Give it time. The reality is we all want to see results inst
Give it time. The reality is we all want to see results inst
पूर्वार्थ
ग़ज़ल/नज़्म - इश्क के रणक्षेत्र में बस उतरे वो ही वीर
ग़ज़ल/नज़्म - इश्क के रणक्षेत्र में बस उतरे वो ही वीर
अनिल कुमार
प्रेरणा - एक विचार
प्रेरणा - एक विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शब्द-वीणा ( समीक्षा)
शब्द-वीणा ( समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
"प्रकाशित कृति को चर्चा में लाने का एकमात्र माध्यम है- सटीक
*प्रणय प्रभात*
ईश्वर के नाम पत्र
ईश्वर के नाम पत्र
Indu Singh
याद दिल में जब जब तेरी आईं
याद दिल में जब जब तेरी आईं
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
हृदय की बेचैनी
हृदय की बेचैनी
Anamika Tiwari 'annpurna '
संस्कार
संस्कार
Rituraj shivem verma
"आँगन की तुलसी"
Ekta chitrangini
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
--: पत्थर  :--
--: पत्थर :--
Dhirendra Singh
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
अर्चना मुकेश मेहता
Loading...