मुरली मनेहर कान्हा प्यारे
मुरली मनोहर कान्हा प्यारे
तुम हो मेरी आँखों के तारे
तुम्हे देखकर हम जीते हैं
लगते हो हमें जाँ से प्यारे
तेरे बिना मेरा जग है सूना
तुम हो सूरज चँदा से न्यारे
मन में बसी छवि तुम्हारी
तुमको प्यासे नयन निहारे
जीवन के रंग हैं तुम्ही से
तुम नयनों के हो उजियारे
‘विनोद’तेरे दर्शन को तरसे
कब आओगे हर घड़ी पुकारे
जय श्री राधे कृष्णा
( विनोद चौहान )