*मुरली की तान देना (भक्ति गीतिका)*
मुरली की तान देना (भक्ति गीतिका)
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1
मन में हमें हे केशव, शुभ स्वाभिमान देना
गीता का ज्ञान देना, मुरली की तान देना
2
जब हम में कर्तापन हो, सात्विक तनिक न मन हो
थोड़ी विनय का हमको, प्रभुवर हे दान देना
3
हम प्यार की नदी हों, बहती हुई सदी हों
जीवन की मुस्कुराहट, यों प्रवाहमान देना
4
अपनत्व को बढ़ाते, गायों को तुम चराते
वसुधा को प्रिय सुधारस, सात्विक महान देना
5
जब मार्ग से हों भटके, हम मध्य में हों अटके
गंतव्य की दिशा में, कान्हा उड़ान देना
6
जब क्रूरता खड़ी हो, विकराल-सी बड़ी हो
हमको भी तुम सुदर्शन, अपने समान देना
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451