*मुरझाकर झरेगा भी 【मुक्तक 】*
मुरझाकर झरेगा भी 【मुक्तक 】
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खिला है फूल डाली पर तो मुरझाकर झरेगा भी
अगर आया है यौवन तो समय यौवन हरेगा भी
यहाँ कुछ भी नहीं शाश्वत, यह जग हर क्षण बदलता है
अगर डूबा है सूरज तो उजाला कल करेगा भी
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451