मुरझाए आंगन में भी ___ गीत
मेरे दिल की है तमन्ना खुशियां सबको मिल जाए ।
मुरझाए आंगन में भी कली महकती खिल जाए।।
काम की चाहत वालों को मनचाहा ही काम मिले।
निर्धन बेबस लाचारों को मंजिल अपनी मिल पाएं।।
सबको ही सम्मान मिले ज्ञान का पथ सब अपना ले।
चल पड़े सच्ची राहों पर मन का संजोया सपना ले।।
सोच रहा हूं जैसा कुछ मैं सोच सभी की निकल आएं।
मुरझाए आंगन में भी कली महकती खिल जाए।।
आपस के झगड़े मिट जाएं मिल बांट कर ही सब खाए।
छोटा बड़ा कुछ होता नहीं मानव बस मानव बन जाए।
मेरे विचारों से इस जग के एक बार तो मिल जाए।
मुरझाए आंगन में भी कली महकती खिल जाए।।
मेरी तमन्ना होगी पूरी मैं अपना वचन निभाऊंगा।
चाहूंगा मैं साथ तुम्हारा कथन सच्चे सिखाऊंगा।।
“अनुनय” ने है बात रखी सोच सभी की निकल पाए।
मुरझाए आंगन में भी कली महकती खिल जाए।।
राजेश व्यास अनुनय