#रुबाइयाँ
हँसके डोलो प्रेम जताओ , गले लगो रंग लगाओ।
झूमो गाओ मस्ती लाओ , दिल से हर भेद भुलाओ।।
रंगोली-सा तन-मन करके , इंद्रधनुष सम खिल खिलके;
कहती होली मीठी बोली , बोलो त्योहार मनाओ।।
होली आई होली आई , ओज लिए होली आई।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई , खेलें बन भाई-भाई।।
सब रंगों से मिले हुये हैं , लगते हैं सारे प्यारे;
स्वर्ग धरा पर दिल मिल आए , इसकी हो ख़ूब बधाई।।
द्वेष हृदय का मिट जाए , रीत यही है होली की।
हार सदा हो कड़वेपन की , जीत मधुर बोली की।।
रंग सुहाये जैसे मन को , संग सुहाये वैसे तो;
समझो होली सच्ची खेली , चाहत है हमजोली की।।
#आर.एस.’प्रीतम’