*मुफ़लिसी का जादू*
बोलता हूँ कुछ तो दुनिया मुखालिफ हो जाती है,
मेरे लफ़्ज़ों का क्या इतना असर होता है !!
चलो मुफ़लिसी ने दुनिया जानने का हुनर तो दिया,
अपना पराया कौन पहचानने का अवसर तो दिया|
मुगालते में अपना समझता रहा आज तलक जिन्हें,
मुख़ातिब़ हो परायों ने वहम को बेअसर तो किया|
मुखालिफ = विरोधी, लफ़्ज़= शब्द, मुफ़लिसी = गरीबी, बेब़शी, मज़बूरी, मुगालते = अज्ञानता, मुख़ातिब़=सामना