मुनिशेखर छंद
जय माँ शारदे
सादर नमन
मुनिशेखर छंद
यह एक वर्णिक छंद है। #अथकृति: जाति का यह छंद #विशत्यक्षरावृति: है। अर्थात इसमें 20 वर्ण होते है। इस छंद का वर्ण विन्यास
सणण, जगण, जगण, भगण, रगण, सगण, लघु, गुरु
मापनी 112, 121, 121, 211, 212, 112, 1, 2
इसमें 12 और 8 वर्ण पर यति आती है।
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112, 121 121 211, 212 112 12
धर शीश भार अपार मोहन, ग्वाल गोपिन संग में।
कर बंसरी ,गल माल शोभित,डूबते जब रंग में।
भर हाथ रंग अबीर फेंकत,राधिका मन मोहिनी।
झट हाथ थाम मरोड़ मोहन,मारते प्रभु कोहिनी।
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निज आत्म ध्यान रहे सदा,नर श्रेष्ठ वो कहते वहाँ।
निज आत्म गौरव भूलता,वह श्रेष्ठता वरते कहाँ?
तज के सभी अपघात कारण,लौ लगा भगवान से।
कर साधना मन,काय से, बचके सभी अपमान से।
पाखी-मिहिरा