मुद्दे
मुद्दे रोज नये नये उठाते रहे
राम को तो कभी रहीम को जगाते रहे
रहता था जो रब दिलों में
उसे थपकिया दे कर सुलाते रहे
सोया था जो नाग दिलों में
उसे तुम खूब दूध पिलाते रहे
घर फूँक तमाशा देखने की जिद में
अपने स्वार्थों का अलाव जलाते रहे
जिन्दो को छोड़ उनके हालो करम पर
गढे मुरदों का मुद्दा उठाते रहे
मीनाक्षी दिल्ली