मुक्तक (आफ़ताब)
हर पल, दिल तुझसे मिलने को बेताब था।
हर घड़ी, आँखों में तेरा ही ख्वाब था।
तेरी मुस्कुराहट की चमक में देखा ही नहीं,
डूबा हुआ तेरी वफ़ा का आफ़ताब था।
-सिद्धांत शर्मा
हर पल, दिल तुझसे मिलने को बेताब था।
हर घड़ी, आँखों में तेरा ही ख्वाब था।
तेरी मुस्कुराहट की चमक में देखा ही नहीं,
डूबा हुआ तेरी वफ़ा का आफ़ताब था।
-सिद्धांत शर्मा