“मुझ में तुम बहते रहे”
मुझ में तुम बहते रहे,
कभी बातों में ,
तो कभी आंखों में ,
वहीं सिहरन है,
अभी मुझ में,
कभी सांसों में ,
तो कभी यादों में ,
मुझ में तुम बहते रहे,
मुझ में तुम बहते रहे…
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”
मुझ में तुम बहते रहे,
कभी बातों में ,
तो कभी आंखों में ,
वहीं सिहरन है,
अभी मुझ में,
कभी सांसों में ,
तो कभी यादों में ,
मुझ में तुम बहते रहे,
मुझ में तुम बहते रहे…
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”