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2 Feb 2019 · 1 min read

मुझे

मुद्दतों बाद फिर याद आया सनम
भूलने में जिसको लगे ज़माने मुझे।

बस इक हिचकी आई, हुईं आंखें नम
वो गुज़रे हुए पल याद लगे आने मुझे।

जो खोला झरोखा तिरी बीती यादों का
गुज़रे पल पास लगे अपने, बुलाने मुझे।

थे ज़िंदा दिल कभी हम भी नीलम
सुन, लगाया जुदाई ने ठिकाने मुझे।

रोते-रोते ज़माने की चिंता हुई
दिखावे को पड़ा मुस्कुराना मुझे।

थीं आंखें हमारी,जिनका आईना
महज़ कांच लगे वो बताने मुझे।

बिन तेरे कैसे, जी रही है नीलम
ज़िंदगी लगी है आज़माने मुझे।

नीलम शर्मा ✍️

1 Like · 2 Comments · 340 Views
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