मुझे सोते हुए जगते हुए
मुझे सोते हुए जगते हुए
ये ख़्वाब आता है।
कभी पानी की जगहा
आंख में तेज़ाब आता है।।
मैं बेहतर जानता हूं
इसलिए अक़्सर उफनता हूं।
समंदर मौन रहता है तो
फिर सैलाब आता है।।
■प्रणय प्रभात■
मुझे सोते हुए जगते हुए
ये ख़्वाब आता है।
कभी पानी की जगहा
आंख में तेज़ाब आता है।।
मैं बेहतर जानता हूं
इसलिए अक़्सर उफनता हूं।
समंदर मौन रहता है तो
फिर सैलाब आता है।।
■प्रणय प्रभात■