मुझे श्रृंगार की जरूरत नहीं
न बिंदिया, न झुमके ,न कंगन
मुझे श्रृंगार की जरूरत नहीं।
तुम जो ले लो मुझे आगोश में,
मुझे हार की जरूरत नहीं।
तुम्हारे आने से आ जाती है चमक आंखो में,
मुझे कजरे की धार की जरूरत नहीं।
पैरों में बांधे हैं मैने प्रीत के घुंघरू,
मुझे पायल की झंकार की जरूरत नहीं।
तुम्हारे स्नेह की बूंदों से भीगता है तन मन,
मुझे सावन की फुहार की जरूरत नहीं।