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12 Apr 2023 · 1 min read

#मुझे ले चलो

✍️

★ #मुझे ले चलो ★

मुझे ले चलो
फिर उस गली में
जहां रामनाम धुन विराजे

मुझे ले चलो . . . . .

स्वप्न फूल हुए कुछ
कुछ अधखिली कलियां
वापस बुलाती हैं
साजन की गलियां

नयनों का सागर
कामनाओं की नैया
स्मृतियां सदा सुहागन
हुआ मन गवैया

सांझ की बेला
कल्याण मैं कहूं
भैरवी धुन बाजे

मुझे ले चलो . . . . .

मनमीत मन में रहें
इक कहानी हुई
डगर यह नहीं
मेरी पहचानी हुई

प्यासे आस के पंछी
सब छोड़ दिये
कच्ची मिट्टी के खिलौने
मैंने तोड़ दिये

पल विपल और रात दिन
मिल नहीं पाते
भटक रहे हैं अभागे

मुझे ले चलो . . . . .

माटी से माटी का मिलन
जिन्हें देखना हो बुला लो
बहुत थक गया हूं
मुझको कांधे उठा लो

मन में विरह की अगन
अगन से लिपट जाऊंगा
शपथ राम की मुझे
अगले पल लौट आऊंगा

चीर मैला हुआ
नये दिन में नया
अंगराग साजे

मुझे ले चलो . . . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२ — ७०२७२-१७३१२

Language: Hindi
213 Views
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