मुझे पत्नी शेरनी चाहिए
धधका दे जो शोला मेरे सीने में वह द्रोपदी चाहिए ,
ठंडक की तरह तर ले मेरे कष्ट को मुझे रुक्मणि चाहिए ,
मेरे रोम रोम में समा जाए ऐसी सती चाहिए,
पी लू विष मैं उसके खातिर ऐसा शिव बनाना चाहूंगा,
भेद सकू मैं हर मछलियों की आखों को मैं अर्जुन बनना चाहूंगा ,
मुस्कुराता रहू मैं कृष्ण की तरह सदा ऐसा मैं इंसान बनना चाहता हूँ ,
झुक जाऊ मैं अपनी सीता के लिए मैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाना चाहूंगा ,
अरे हा होगी महाभारत इस धरा पर ,होगा फिर से रावण का वध ,
मैं उस धर्म का आशीष तिलक बनने को तैयार हूं , हा मैं मरने और मारने को तैयार हूं । हा मुझे पत्नी शेरनी चाहिये ।
-rohit?