मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए,
जिसके बराबर चल सकूं वो हमसफ़र चाहिए!!
अमीर लड़के के सोने की पिंजरे में कैद नहीं होना,
ना ही चाभी की जीती जागती गुड़िया है बनना,
मुझे तो मेरे विचारों को पंख देने वाला चाहिए!!
गर गृहस्थी में उलझकर रह जाऊं तो याद कराए,
कि तुम्हारी ताकत है लिखना तुम बेख़ौफ़ लिखो,
मुझे तो मेरे अभिव्यक्ति का वह खुला आकाश चाहिए!!
जो सहज स्वीकार करे मेरे विज्ञानवादी विचारों को,
जो कहे तुम सबसे अलग हो लेकिन सही हो तुम,
मेरे तर्क करने की क्षमता को निखारने वाला चाहिए!!
रो सकूं, चिल्ला सकूं, अपनी खुशी और डर बता सकूं,
अपनी खूबियों के साथ कमियों पर भी बात कर सकूं,
जिससे बांट सकूं अपना सबकुछ, वही शख़्स चाहिए!!
जीवन का गणित हम दोनों मिलकर हल कर लेंगे,
थोड़ा कुछ मैं कमा लुंगी, थोड़ा कुछ वो भी कमा लेंगे,
मेरा या तुम्हारा नहीं, एक हसीन सा घर हमारा चाहिए!!