मुझे पता चलता है
मुंतज़िर में खुद रहता हूँ उसके इशारे का
वो पलके भी झपकायें तो मुझे पता चलता है
उसे मैंने अपने ज़हन में इस कदर बसा लिया है
मेरी याद भी उसे आये तो मुझे पता चलता है ।।
– चिंतन जैन
मुंतज़िर में खुद रहता हूँ उसके इशारे का
वो पलके भी झपकायें तो मुझे पता चलता है
उसे मैंने अपने ज़हन में इस कदर बसा लिया है
मेरी याद भी उसे आये तो मुझे पता चलता है ।।
– चिंतन जैन