मुझे देते है लोग दुआओँ की भीड़
मुझे देते है लोग दुआओँ की भीड़ मेरी तन्हाई को भरने मेँ
पास आता है कोई इस तरह मेरी भलाई को रखने मेँ
मुझे न देखो यूँ कि हो जायेँ सूखे मे दरारेँ भी
ये काया कठोर तप मेँ डूबकर थोड़ा समय माँगती है गहराई से निकलने मेँ
मुझे देते है लोग दुआओँ की भीड़ मेरी तन्हाई को भरने मेँ
पास आता है कोई इस तरह मेरी भलाई को रखने मेँ
मुझे न देखो यूँ कि हो जायेँ सूखे मे दरारेँ भी
ये काया कठोर तप मेँ डूबकर थोड़ा समय माँगती है गहराई से निकलने मेँ