मुझे तेरी मुहब्ब्त ने नशे में चूर कर डाला
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मुझे तेरी मुहब्बत ने नशे में चूर कर डाला।
तेरी खातिर दिवाने दिल ने सब मंजूर कर डाला।।
बिछड़के जो जिये हम तुम फकत ये इक सजा ही है।
जमाने की रिवायत ने मुझे मजबूर कर डाला।।
दिली इज़हार करने का सिला मुझको दिया दिलवर।
चुभे नस्तर से आंखों में नज़र से दूर कर डाला।।
रहे दिल मे सदा तेरे थे तुझको जान से प्यारे।
मगर क्यों खुद से ,दिल से फिर शहर से दूर कर डाला।।
रही गुमनाम दुनिया मे मगर जब सबने पहचाना ।
अँधेरों में ही रखना था तो क्यों पुरनूर कर डाला।।
मिले जो प्रेम में मुझको वो सारे दर्द सह लेती
कभी तो जख्म भर जाता उसे नासूर कर डाला।।
वो पत्थर दिल बहुत निकला जिसे रब जैसा पूजा था।
ये नाजुक दिल जो टकराया तो चकनाचूर कर डाला।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा