मुझे तू क्यूँ सताता है…
मुझे तू क्यूँ सताता है,
मौत से तू क्यूँ सहम जाता है ।
मेरे हर दर पर रहती है भुखमरी,
भूख से किसको डराता है ।।
दर्द से बाक़िफ़ मेरा हर क़तरा,
तू इसको क्यूँ आजमाता है ।
मैं तो तेरे डर से भी डर जाता,
मग़र भूख की तड़प से ये पेट काँपता है ।।
हज़ारों कष्ट मैं सह लुँगा,
गर तू मेरी भूख शाँत कर जाता,
मुझे तो डर नहीं किसी बीमारी से,
मौत का डर मुझे तू क्यूँ दिखाता है ।।