मुझे तुमसे या दुनियां से गिला क्या —- गज़ल -निर्मला कपिला
मुझे तुमसे या दुनियां से गिला क्या
मिली तकदीर से हम्को सजा क्या
बेटियां मां बाप से जब दूर जातीं
बिना उनके जिगर मे टूटता क्या
घुस आया पाक सीमा मे उठो सब
ये सोचो दुश्मनों को हो सजा क्या
चुनावों मे मिले भाषण बडे बडे
हकीकत मे तो जनता को मिला क्या
बहाने रोज करते बाबूजी क्यों
बिना पैसे कभी कुछ भी हुआ क्या
न नेताऔं को कोई भी फिक्र है
न संसद गर चले तो फायदा क्या
छुपाये ख्वाब आंखों मे कई हैं
बतायें किस तरह उनका नशा क्या