मुझे तसल्ली से मरने दे
तू जी मर मर के मुझे तसल्ली से मरने दे
तू दौलत कमा मुझे मुहब्बत करने दे
तुझे डराती है गहराई उफनते दरिया की
तू बैठ किनारे मुझे दरिया में उतरने दे
तू खरीद बेच सामान इन बाज़ारों में
मुझे हुस्न की गलियों से गुजरने दे
तू खुश रह अपनी मैं, अपनी खुदी में
मेरी मैं, मेरी खुदी को, टूट के बिखरने दे
उल्फत के अंगारे जलाते हैं सबके पाव
इन अंगारों पे मुझे हंस के गुजरने दे
तू जी मर मर के मुझे तसल्ली से मरने दे
तू दौलत कमा मुझे मुहब्बत करने दे
—ध्यानू