मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया ।
मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया
मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया,
उठ रही है कसक बावरा सा जिया
ले चलो तुम मुझे प्रीत के लोक में
मेरे मनमीत जीवन समर्पित किया
छोड़ देना न तुम मुझको मझधार में
मांगती हूँ वचन आज तुमसे पिया
मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया
उठ रही है कसक बावरा सा जिया
ना रहें फासले ना रहें दूरियां,
जन्म जन्मों को अपना मिलन है पिया
मेरा सौभाग्य तुमसे ही मेरे सजन,
मेरी मेंहदी महावर तुम्हीं से पिया
मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया
उठ रही है कसक बावरा सा जिया
मैंने माना हूँ तुम बिन अधूरी सजन
तुम हो दीपक तो मैं तुम्हरी बाती पिया
मैं सुहागन रहूँ जन्म जन्मों तलक
मातु गौरा से मैंने ये वर है लिया
मुझे ऐसे निहारो न मोरे पिया
उठ रही है कसक बावरा सा जिया
अनुराग दीक्षित