मुझे इश्क है तुझसे ये किसी से छुपा नहीं
मुझे इश्क है तुझसे, ये किसी से छुपा नहीं,
न जाने हुआ ये कैसे, हमने तो कभी कुछ कहा नहीं।
तेरे आने से आ जाती है चमक आंखों में,
कहीं नजरों से तो हुआ ये राज़ बयां नहीं।
चुप है पायल, खामोश हैं झुमके भी,
फिर कोई कंगन तो खनका नहीं।
वो कहते हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए
नहीं छुपता,
होता है बिना आग के कहीं धुआं नहीं।
दिल धड़कता है ज़ोर से जब सामने होते हो तुम,
कैसे कहूं कि ये प्यार का सिलसिला नहीं।