मुझे इमकान है
मुझे इमकान है
तू आज भी न आएगा
हर रात की तरह
फिर भी जागना है मुझे
तेरा करम देखा
तेरा सितम देख रहा हूँ मैं
अब और क्या बाकी है
दुनियाँ में, जिसे
देखने को जिन्दा बाकी हूँ मैं!!!!
हिमांशु Kulshrestha
मुझे इमकान है
तू आज भी न आएगा
हर रात की तरह
फिर भी जागना है मुझे
तेरा करम देखा
तेरा सितम देख रहा हूँ मैं
अब और क्या बाकी है
दुनियाँ में, जिसे
देखने को जिन्दा बाकी हूँ मैं!!!!
हिमांशु Kulshrestha