मुझे आज तेरी नसीहत न होती
मुझे आज तेरी नसीहत न होती
मिली सासु माँ की वसीअत न होती
पराया न समझो उसे माँ तिरी ही
सदा मानलो जो वकालत न होती
करे प्यार तुझको जिगर टुकड़े सा
पलट कर कभी भी बगावत न होती
जरा सा लगा दिल सही से समझ तो
तभी छोड़ तुझको मुहब्बत न होती
निछावर करे वो सदा के लिए पुत्र
कही जो सुनी तो कयामत न होती
नसीहत सदा याद उनकी रहें तो
तुझे तब कभी फिर नदामत न होती
भरोसा करो आँख मीचे हमेशा
जगत मात सी अब इबादत न होती