मुझको मिले जो आजतक सम्मान मत छीनो !
मुझको मिले जो आजतक सम्मान मत छीनो !
उड़ता हूँ हौसले से मेरी उड़ान मत छीनो !
पहचान है मेरी मेरे शब्दों कलम से ,
है निवेदन आपसे पहचान मत छीनो !!
जां से भी ज्यादा प्यार मुझे मातृभूमि से,
करके इसका अपमान मेरी जान मत छीनो !!
दिनभर चलाते हल यहा किसान खेत में ,
कम करके भाव अन्न का खलिहान मत छीनो !!
रचना पढ़ूँगा मंच से बजेगी तालियाँ ,
जुगनू के मधुर कंठ की तान मत छीनो !
09200573071