मुझको मिलेगी जीत __ घनाक्षरी
बीवी बोली नेताजी की सुनो मेरे पतिदेव।
चुनाव में इस बार मुझको उतारिए।।
जीत नहीं पाओगे तुम जनता खिलाफ है।
कह रही साफ साफ मुझको उतारिए ।।
हजारों थे किए वादे किए नहीं उन्हें पूरे।
देगा कौन वोट तुम्हें मुझको उतारिए ।।
मुझको मिलेगी जीत प्रीत करूं जनता से।
एक भी न तोड़ूं वादा मुझको उतारिए।।
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लुगाई की सुन सुन चुनावी मैदानी बातें ।
बोला तब प्राणनाथ तुम रहने दीजिए।।
घर के ही करो काम तुम मेरी भाग्यवती।
लड़ूंगा चुनाव मैं ही तुम रहने दीजिए ।।
जनता है भोली भाली मेरी बातें मतवाली।
चल दूंगा चाल नई तुम रहने दीजिए।।
साम दाम दंड भेद सब कुछ जानता हूं।
जीत ही जाऊंगा जंग तुम रहने दीजिए।।
**हास्य व्यंग घनाक्षरी**
राजेश व्यास अनुनय