मुझको भी मनाया जाए
कोई मेरा है ये अहसास दिलाया जाए।
मैं भी रूठा हूँ मुझको भी मनाया जाए ।।
है अँधेरा तो जला लो दीपक कोई
अब उजालों के लिए दिल न जलाया जाए।।
जिसको जाना है वो जाए जहाँ जलसे हैं
मुझसे महफ़िल में ऐ दोस्त न जाया जाए।।
दिल ए बीमार की हसरत है लाइलाज़ रहे
न अब फ़क़ीर न कोई वैद्य बुलाया जाए।।
उसे ऐतराज़ है मेरी सिसकती आहों का
कभी दुनियाँ को मेरा जख्म दिखाया जाए।।
दिल ही झकझोर दिया दिल के मेहमानों ने
दिल की दहलीज पे दरबान बिठाया जाए।।
सच और झूँठ का ये फर्क नजर आएगा
बीच का पहले परदा तो हटाया जाए।।