मुझको बता दे
मेरा दिल परेशां करूँ क्या बता दे।
कहाँ जा के रोऊँ वहाँ का पता दे।।
लिपटकर थी रोई जो इक दिन मैं तुझसे ।
इसी बात पर तू मुझको हंसा दे।।
तुम्हारे करम पर जिए जा रही थी ।
भुला दूँ मैं कैसे यही तू बता दे।।
अजब सी ये खुसबू जो तूने बिखेरी।
घटाओं सी जुल्फों को अब तू हटा दे ।।
आरती लोहनी