मुझको दिल में उतरने दे दिल जानियां।
गज़ल
212……212……212…..212
मुझको दिल में उतरने दे दिल जानियां।
छूने दे तू मुझे दिल की गहराइयां।
तू भी आजा सनम आ के लग जा गले,
इश्क की तू बिखरने दे रानाइयां।
देश के प्रेम में छोड़ परिवार को,
थामी बन्दूक दागेंगे अब गोलियां।
जा के आने का सुनके तेरा फैसला,
दिल में बजने लगीं फिर से शहनाइयां।
मेरे साए में महफूज़ हरदम रहो,
साथ तेरे रहें मेरी परछाइयां।
युद्ध की ज्वाल विकराल भी शांत हो,
शान्ति से सब रहे विश्व की बस्तियां।
प्रेम प्रेमी के हित में तू फिर लौट आ,
दूर हो जायें फिर से ये तन्हाइयां।
…….✍️ प्रेमी