मुझको थोड़ी भंग पिला दो
मत रूठों तुम मुझसे कान्हा।
मेरे घर तुम कल फिर आना।
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हंसी ठिठोली है यह होली।
आज लगा दो मुझको रोली।
मैं तेरी दीवानी राधा।
मेरा तेरा सब कुछ आधा।
नहीं चलेगा कोई बहाना।
मेरे घर तुम कल फिर आना।।
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अभी अभी तो आये हो तुम।
नहीं रची माथे की कुमकुम।।
बिंदिया चूडीं शीश चुनरिया।
अभी अछूती नयन नजरिया।
अभी नहीं तुमको है जाना।
मेरे घर तुम कल फिर आना।।
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अंग – अंग में रंग लगा दो।
मुझको थोड़ी भंग पिला दो।।
कर लो थोड़ी मीठी बातें।
कट जायेंगी सूनी रातें।
नहीं कभी तुम मुझे सताना।
मेरे घर तुम कल फिर आना।।
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