मुझको जाना पड़ेगा
वज़्म में, उसका दुशाला ..ओढ़ कर जाना पड़ेगा
बाद मुद्दत तल्खियों को छोड़ कर जाना पड़ेगा
थी मोहब्बत भी कभी, नज़रें बता देंगी उसे
सामने उसके, मुझे मुॅंह मोड़ कर जाना पड़ेगा
रख दिया था इस हथेली पर जो उसने हाथ तब
ख़्वाब इन ऑंखों का मुझको तोड़ कर जाना पड़ेगा
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ