मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
इसे मोहब्बत से जी ले जरा!!!
यूं लड़ना क्या किसी से,,,
तू अपना सबको ही ले बना!!!…
खुदा सबका निगहबां है,,,
चोरी छिपे ना कर तू गुनाह!!!
मंजिल मिल ही जायेगी,,,
साथ चलता है जब कारवां!!!…
ये माना कि गम है बहुत,,,
पर खुशियां भी तो है अता!!!
हर नसीब को लिखा है,,,
खुदा सबका ही है रहनुमां!!!…
लकीरें हैं तेरे भी हाथों में,,,
तू लिख खुद अपनी दास्तां!!!
हासिल बन दुआओं का,,,
फिर जीने में आता है मजा!!!…
सिफारिश कहीं न होगी,,,
हर गुनाह की है यहां सजा!!!
मिलें गम या मिलें खुशी,,,
उड़ जायेगा हो जैसा धुआं!!!
आयत सा पढ़ते है तुम्हें,,,
लबों पे हो जैसे कोई दुआ!!!
जब मुकद्दर हो दुश्मन,,,
करे तो क्या करे कोई इंसा!!!…
ताज मोहम्मद
लखनऊ