मुखोटा
मुखोटा
पहले के लोग थे भले जिनके चेहरे असलियत बयाँ करते थे
भोले-भाले इरादे और
आईने की शख्सियत के मालिक है वो
जो नकाब या मुखोटे से
बचकर रहा करते है l
अब के लोग कहाँ भले है …
जो ओढ़कर सहानुभूति चेहरे पर
औरों के जीवन में ज़हर घोल दिया करते हैं l
और भोली सूरत वाले ही
अक्सर घाव गहरे छोड़ दिया करते हैं l
इस मुखोटे की आड़ में ही
कितने अपराधों को अंजाम मिल जाता है l
फिर इसी मुखोटे का सहारा लेकर
कोई बेईमान, अपराधी बच जाता है l
लोग सच जानते हैं
बखूबी पहचानते हैं
कि पहले मुखोटा धूप से बचने को पहना जाता था,
आज वही असलियत छिपाने को औढ़ा जाता है l
मुस्कान यादव
आयु – 16 साल