Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2021 · 2 min read

मुखिया जी

आज मीरा बहुत ही खुश थी,हो भी खुश क्यों न? स्कूल के समय से ही वह कक्षा में मॉनिटर रह चुकी थी।उसके स्कूल में सभी शिक्षक उसके नेतृत्व क्षमता की सराहना करते थे।उसकी कक्षा उसके नेतृत्व में खेलकूद संगीत अनुशासन पढाई सभी चीजों में अव्वल आती थी।
फिर कॉलेज के दिनों में पढाई के दबाव के बावजूद कॉलेज में होने वाले चुनावों में सर्वसम्मति से उसे छात्राध्यक्ष घोषित कर दिया गया था।हालाँकि शुरू शुरू में उसके घर वाले इसके खिलाफ रहे पर दोस्तों, प्रोफेसर के कहने पर वे लोग मान गए।
ग्रेजुएट तीसरे वर्ष में भी उसके लिए एक रिश्ता आया ,लड़का सरकारी नौकरी में था दिखने में सुंदर ,सुकान्त।घर वालों को और क्या चाहिए था,मीरा को तैयार कर शादी के लिए हाँ कर दी।
मीरा भी माता पिता के आगे कुछ न बोल पाई और उनके इच्छा के आगे हथियार डाल दिया।
इस प्रकार बचपन से ही नेतृत्व करने वाली मीरा घर में बंद होकर रह गयी।
आज कई वर्षों बाद उसके ससुराल के पंचायत क्षेत्र में सीट आरक्षित होने पर उसके पति ने उसको मुखिया के चुनाव में खड़ा होने के लिए कहा तो वह हवाओं में उड़ने लगी।
उसे लगा कि समाज कल्याण की जो इच्छा उसके मन में थी वो इस बहाने पूरी करेगी।
नामांकन हो गया ,जोरों शोरों से प्रचार भी होने लगा,उसका पति एक महीने की छुट्टी पर मदद करने के लिए गाँव चला आया।चुनाव हुआ वह जीत गयीं।लोगों को लग रहा था कि एक पढ़ी लिखी स्त्री जब मुखिया बनेगी तो बेटी बहू की समस्याएं समझेगी।
जीत के बाद लोग बधाई देने आने लगे,साथ ही फूल माला लेकर पहुँचने लगे,मीरा मन ही मन खुश थी,अब बाहर से उसका पति उसे आने के लिए आवाज देगा और सभी उसे बधाई और मुबारकबाद देंगे।
मगर यह क्या सभी लोग उसके पति को माला पहनाकर ,गुलदस्ता हाथों में देकर ,मुबारकबाद दे रहे थे।मीरा को लगा शायद अब उसके पति उसे बुलायेंगे, मगर यह क्या उसके पति अंदर आते हैं और कहते हैं थोड़ा पकौड़ी चाय बना दो ।मिठाई मँगवाने के लिए भेजा है,सबको खुश रखना जरूरी है।
आखिर अब हमलोग मुखिया बन गए हैं न।और फिर मीरा चुपचाप रसोई की ओर यह सोचते हुए बढ़ गयी कि अब रसोई तक ही उसका संसार है।इससे बाहर जाने की कल्पना बेमानी है।

2 Likes · 3 Comments · 575 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बदलता साल
बदलता साल
डॉ. शिव लहरी
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
दीवाली
दीवाली
Nitu Sah
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
Phool gufran
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
Ravi Betulwala
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
VINOD CHAUHAN
खिलेंगे फूल राहों में
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*पिता (दोहा गीतिका)*
*पिता (दोहा गीतिका)*
Ravi Prakash
अगर बात तू मान लेगा हमारी।
अगर बात तू मान लेगा हमारी।
सत्य कुमार प्रेमी
दो नयनों की रार का,
दो नयनों की रार का,
sushil sarna
रंगों का नाम जीवन की राह,
रंगों का नाम जीवन की राह,
Neeraj Agarwal
हाँ, मैं कवि हूँ
हाँ, मैं कवि हूँ
gurudeenverma198
"बस्तर के वनवासी"
Dr. Kishan tandon kranti
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
■ समझदारों के लिए संकेत बहुत होता है। बशर्ते आप सच में समझदा
■ समझदारों के लिए संकेत बहुत होता है। बशर्ते आप सच में समझदा
*Author प्रणय प्रभात*
2697.*पूर्णिका*
2697.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
निशांत 'शीलराज'
बोगेनविलिया
बोगेनविलिया
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
त्रुटि ( गलती ) किसी परिस्थितिजन्य किया गया कृत्य भी हो सकता
त्रुटि ( गलती ) किसी परिस्थितिजन्य किया गया कृत्य भी हो सकता
Leena Anand
यदि आपका स्वास्थ्य
यदि आपका स्वास्थ्य
Paras Nath Jha
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
Dr Archana Gupta
मैं पर्वत हूं, फिर से जीत......✍️💥
मैं पर्वत हूं, फिर से जीत......✍️💥
Shubham Pandey (S P)
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
Shweta Soni
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
Ranjeet kumar patre
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
कवि दीपक बवेजा
जब स्वयं के तन पर घाव ना हो, दर्द समझ नहीं आएगा।
जब स्वयं के तन पर घाव ना हो, दर्द समझ नहीं आएगा।
Manisha Manjari
!...............!
!...............!
शेखर सिंह
दर्द अपना है
दर्द अपना है
Dr fauzia Naseem shad
पानी
पानी
Er. Sanjay Shrivastava
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
Rajesh Kumar Arjun
Loading...