*मुक्त-मुक्तक
जब मुझको ज़रूरत थी तेरी
दैया रे दैया !
उस वक़्त तो कुछ और ही था
तेरा रवैया ॥
अब चाहिए तुझको मेरी
इमदादो-मदद तो ,
तू हो रहा है शेर से इक
पालतू गैया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
जब मुझको ज़रूरत थी तेरी
दैया रे दैया !
उस वक़्त तो कुछ और ही था
तेरा रवैया ॥
अब चाहिए तुझको मेरी
इमदादो-मदद तो ,
तू हो रहा है शेर से इक
पालतू गैया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति