मुक्ति दे दो मुझे
तुम्हारा बिछड़ना
यकीनन दुखदाई था
यूँ लगा जैसे
आकाश की तिजोरी से
लुट गया हो चाँद,सूरज और सितारों का साम्राज्य
यूँ लगा जैसे खो गई हो कस्तूरी
मृग के शरीर से
यूँ लगा जैसे कि उड़ गई हो चिड़िया
घोसले को छोड़कर
मेरी आत्मा अब मेरे शरीर से पृथक है और
भटक रही है तुम्हारे इर्द-गिर्द
देखो रोना मत
अब नहीं पोछ सकता तुम्हारे आँसू
मैं तो तुम्हारी मुस्कान देखना चाहता हूँ
हाँ वही मुस्कान
जिस पर मर मिटा था मैं
तुम्हें मेरी कसम
बिखेर दो फिर से वही फूल
मेरी अर्थी पर
मुक्ति दे दो मुझे