मुक्ति का दे दो दान
मुक्ति दे दो
हे प्रभु सात वर्ष हो गये उसे,वह बिस्तर से उठ नही पाती है
तरस नही आता तुमको ,देख उसे तबियत घबरा जाती है
बोल नही पाती कुछ भी ,ना जाने क्या महसूस कर पाती है
सुना सा लगता है चेहरा उसका,दया बहुत हमे आती है
नही खाती नही पीती,नलियो द्वारा ताकत पहुंचाई जाती है
दान धर्म बहुत किया फिर इस सजा से क्यो नही बच पाती है !!
दौड़ती रहती थी जो दिन भर, बेबस लाचार नजर आती है
मौश्र पाने की खातिर, आखौ से अपनी अश्क भी बहाती है ?
समर बाबु