मुक्तामणि छमनद
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मुक्तामणि छंद- 25 मात्रा,
(यति-13,12, यति पूर्व लगा, चरणांत गागा)
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शारद माँ! विनती सुनो, लाल पुकारें द्वारे ।
दया दृष्टि कर खोलिये, ज्ञान कपाट हमारे ।।
छंदों का माँ ! ज्ञान दो, गति, यति, लय को जानें ।
उर अम्बर में गीत की , गूँजें माँ ! धुन तानें ।।
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काम, क्रोध, मद, लोभ का, जब से दामन थामा ।
माया में मन घिर गया, भूल गये हरि नामा ।।
अंजुलि से पल-पल रिसे, जैसे नीर उमरिया ।
छलक रही सिर पर धरी, कर्मों भरी गगरिया ।।
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अंतर्मन में गूँजता, नाद सदा ही प्यारा ।
जो भी सुन पाता इसे, उसने जन्म सुधारा ।।
क्षण भर भी उस नाद को, जो भी जन सुन पाता ।
‘ज्योति’ वही संसार में, जन योगी कहलाता ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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