राम
पंचचामर छंद (मापनी युक्त मात्रिक)
विधान – 2121 2121 2121 212
जो कभी गुमान दंभ, भूल से नहीं किया।
प्रात काल राम नाम,नित्य प्रेम से लिया।
धर्म-कर्म, भक्ति-भाव, सिर्फ संग में रहा-
मृत्यु लोक भोग अंत, स्वर्ग में वही गया।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली