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16 Oct 2024 · 1 min read

मुक्तक _ चाह नहीं,,,

मुक्तक
22 22 22 22 22 2

चाह नहीं मुझे , ऊँची शायरा बनूं मैं,
बस अपनों के लिए , इक मायरा बनूं मैं ,
साथ दोस्त हों ,साथ ज़िंदगी हो सबकी ,
मिलकर समाज के लिए, दायरा बनूं मैं ।

✍️नील रूहानी,,,16/10/2024,,,,
( नीलोफर खान )

1 Like · 33 Views

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