मुक्तक _ चाह नहीं,,,
मुक्तक
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चाह नहीं मुझे , ऊँची शायरा बनूं मैं,
बस अपनों के लिए , इक मायरा बनूं मैं ,
साथ दोस्त हों ,साथ ज़िंदगी हो सबकी ,
मिलकर समाज के लिए, दायरा बनूं मैं ।
✍️नील रूहानी,,,16/10/2024,,,,
( नीलोफर खान )