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1 Feb 2019 · 1 min read

मुक्तक

जब कोई चाहत क़रीब हो जाती है।
हाल-ए-ज़िन्दग़ी अज़ीब हो जाती है।
कभी मुड़ते नहीं हैं रास्ते ख़्यालों के-
रश्म बंदिशों की रकीब हो जाती है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
439 Views
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