मुक्तक
“बड़ी मुश्किल से छुपाया है कोई देख न ले
आँख में अश्क जो आया है कोई देख न ले,
डर रही हूँ कि सर-ए-शाम तेरी आँखों में
मैंने जो वक़्त गुज़ारा है कोई देख न ले “
“बड़ी मुश्किल से छुपाया है कोई देख न ले
आँख में अश्क जो आया है कोई देख न ले,
डर रही हूँ कि सर-ए-शाम तेरी आँखों में
मैंने जो वक़्त गुज़ारा है कोई देख न ले “