Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2019 · 1 min read

मुक्तक

” मिले कुछ लोग मेरे दिल को दुखाने वाले,
रहे ना दोस्त सुनो तुम भी पुराने वाले,
तुम भी मिलते हो तो मतलब से यार मिलते हो,
लग गए तुमको भी सब रोग ज़माने वाले “

Language: Hindi
182 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह जी से 'मुरादाबाद मंडलीय गजेटिय
*मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह जी से 'मुरादाबाद मंडलीय गजेटिय
Ravi Prakash
"पसीने से"
Dr. Kishan tandon kranti
गीतिका
गीतिका
surenderpal vaidya
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
4176.💐 *पूर्णिका* 💐
4176.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अकेले
अकेले
Dr.Pratibha Prakash
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है..........
हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है..........
कवि दीपक बवेजा
*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
sudhir kumar
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
करते हैं सभी विश्वास मुझपे...
Ajit Kumar "Karn"
अपनों की महफिल
अपनों की महफिल
Ritu Asooja
दोस्त मेरी दुनियां
दोस्त मेरी दुनियां
Dr. Rajeev Jain
तन पर हल्की  सी धुल लग जाए,
तन पर हल्की सी धुल लग जाए,
Shutisha Rajput
मुहब्बत
मुहब्बत
Dr. Upasana Pandey
*बिखरा सपना  संग संजोया*
*बिखरा सपना संग संजोया*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
प्रेमरस
प्रेमरस
इंजी. संजय श्रीवास्तव
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
पूर्वार्थ
आज फ़िर
आज फ़िर
हिमांशु Kulshrestha
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
Ramnath Sahu
"अनपढ़ी किताब सा है जीवन ,
Neeraj kumar Soni
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
sushil sarna
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
"इश्क़ वर्दी से"
Lohit Tamta
रज चरण की ही बहुत है राजयोगी मत बनाओ।
रज चरण की ही बहुत है राजयोगी मत बनाओ।
*प्रणय प्रभात*
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
मुक्तक
मुक्तक
Mahender Singh
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
Sanjay ' शून्य'
Loading...